कल रात सपने में
कुछ विचार चले आए
मेरे पास भूले-भटके.
मैंने उन्हें रोका,
कविता में ढाला,
बस कलम-दवात लेकर
कागज़ पर उतारने ही वाला था
कि कविता गायब हो गई.
न जाने कहाँ खो गई,
बहुत खोजा, पर मिली ही नहीं.
ध्यान रखना,
कहीं दिखे तो बताना,
पर इतना याद रखना
कि वह कविता मेरी है, सिर्फ मेरी,
किसी और की नहीं.
अगर कहीं मिल जाय,
तो ईमान बनाए रखना,
मुझे हिफाज़त से सौंप जाना.
कुछ विचार चले आए
मेरे पास भूले-भटके.
मैंने उन्हें रोका,
कविता में ढाला,
बस कलम-दवात लेकर
कागज़ पर उतारने ही वाला था
कि कविता गायब हो गई.
न जाने कहाँ खो गई,
बहुत खोजा, पर मिली ही नहीं.
ध्यान रखना,
कहीं दिखे तो बताना,
पर इतना याद रखना
कि वह कविता मेरी है, सिर्फ मेरी,
किसी और की नहीं.
अगर कहीं मिल जाय,
तो ईमान बनाए रखना,
मुझे हिफाज़त से सौंप जाना.
आज हर जगह पर लोगों का ईमान बिगड गया है,,,कविता क्या चीज है
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST: माँ,,,
एक अच्छी रचना ... ताजगी लिए
जवाब देंहटाएंएक अच्छी रचना ..ताजगी और नयापन लिए
जवाब देंहटाएंमिली मुझे छत की मुंडेर पर
जवाब देंहटाएंपंछियों संग दाना चुगती
जीवन के गीत सुनती .... लीजिये अपनी कविता जो जीवन के अद्भुत भाव देती है
ओंकार जी....पन्नों पर लिखी जा चुकी कवितायें लोग चुरा लेते हैं फिर तो ये ख़याल गुम हुआ है.....कोई लौटाने वाला नहीं....
जवाब देंहटाएं:-)
ये तो मजाक की बात थी...
बहुत खूबसूरत भाव...वाकई ज़रा हट के कविता है...
सादर
अनु
सही है हर चीज़ कॉपी होने लगी है, चोरी होने लगी है ।
जवाब देंहटाएंसही है कितना भी संभालो चीज़ें गायब हो ही जाती है ।
जवाब देंहटाएंबहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंएक सुन्दर अहसास...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंRECENT POST ...: यादों की ओढ़नी