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रविवार, 28 मई 2023

७१५.पानी में

 




इस तालाब में इतनी ख़ुशबू क्यों है,

किसने डाल रखे हैं पांव पानी में?


मैं टकटकी बांधे देखता रहा उधर,

फिर भी चली गई भैंस पानी में. 


एक अरसे से प्यास की तलाश में हूँ,

मुझे दिलचस्पी नहीं है पानी में. 


शुक्र है तुमने ताज़िन्दगी ग़म दिए,

जो बात आग में है, नहीं है पानी में.


इतना दुश्वार नहीं ख़ुद को पहचान पाना,

आईना नहीं, तो झांक लिया करो पानी में. 


6 टिप्‍पणियां:

  1. वाह जी! पानी को रंगीन बना दिया...बहुत सुंदर रचना।

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  2. aapki baaki kavitaaon se alag... bahut sundar!

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  3. इतना दुश्वार नहीं ख़ुद को पहचान पाना,
    आईना नहीं, तो झांक लिया करो पानी में.
    ..बहुत खूब!

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