इन दिनों ज़रूरी है
दूरी बनाए रखना,
थोड़ी नहीं,ज़्यादा.
इन दिनों ज़रूरी है
किसी के गले न लगना,
किसी से हाथ न मिलाना,
किसी के पास न जाना.
इन दिनों ज़रूरी है
दिलों का क़रीब होना,
इतना कि ज़रा सा भी
फ़ासला न रहे.
इन दिनों ज़रूरी है
दूसरों के काम आना,
उनका दर्द महसूस करना
और यह सब संभव है
दो गज की दूरी रखकर भी.
इन दिनों ज़रूरी है
जवाब देंहटाएंदूसरों के काम आना,
उनका दर्द महसूस करना
और यह सब संभव है
दो गज की दूरी रखकर भी...बिल्कुल सही कहा है आपने..।सुंदर सृजन..।
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंइन दिनों दो गज की दूरी बहुत जरूरी है । बेहतरीन सृजन.
जवाब देंहटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 23 नवंबर 2020 को 'इन दिनों ज़रूरी है दूसरों के काम आना' (चर्चा अंक-3894) पर भी होगी।--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
इन दिनों ज़रूरी है
जवाब देंहटाएंदूसरों के काम आना,
उनका दर्द महसूस करना
और यह सब संभव है
दो गज की दूरी रखकर भी.
वाकई
सुन्दर
इन दिनों ज़रूरी है
जवाब देंहटाएंदूसरों के काम आना,
उनका दर्द महसूस करना
और यह सब संभव है
दो गज की दूरी रखकर भी...बहुत ख़ूबसूरती से कहा।
सुन्दर कृति - - अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति - - इस कोरोना के समय ये सोच बहुत ही ज़रूरी है - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंNice poem in Corona kaal
जवाब देंहटाएंइन दिनों ज़रूरी है
जवाब देंहटाएंदूसरों के काम आना,
उनका दर्द महसूस करना
और यह सब संभव है
दो गज की दूरी रखकर भी ...
सहज सरल शब्दों में सटीक बात कही आपने
सुंदर, प्रेरक रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावात्मक सुंदर सृजन।
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