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शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

४८५. अंतरात्मा



सुनो, महामारी के दौर में 

ख़ुद से ज़रा बाहर निकल जाना,

थोड़ी दूर रहकर 

ध्यान से देखना

कि क्या कुछ बचा है तुममें,

ख़ासकर अंतरात्मा बची है क्या,

अगर मर गई है, तो कैसे,

कोरोना तो नहीं मार सकता उसे.

16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 27 सितम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (27-09-2020) को    "स्वच्छ भारत! समृद्ध भारत!!"    (चर्चा अंक-3837)    पर भी होगी। 
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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  3. ख़ासकर अंतरात्मा बची है क्या,
    अगर मर गई है, तो कैसे
    –इस भयावह काल में भी किसी की अंतरात्मा मर जाती है तो वह इंसान बचता कहाँ है..

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  4. सही कहा अंतरात्मा ढ़ूँँढने की खास जरूरत है आजकल बगैर अंतरात्मा वालों के किस्से ज्यादा सुनाई दे रहे हैं...। उनमें से कहीं हम भी तो नहीं।

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  5. आ वाह! कम शब्दों में गहरे अर्थ! --ब्रजेन्द्रनाथ

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