सुन्दर पतंग डोर से कटकर
किसी पेड़ में अटक जाती है,
तो बच्चे लंबे बांस लेकर
उस पर झपट पड़ते हैं.
बच्चे जानते हैं
कि पतंग का सलामत मिल पाना
लगभग असंभव है,
पर बाज नहीं आते.
छीना-झपटी में जब
पतंग फट जाती है,
तो उसके लिए मचल रहे बच्चे
उसे पांवों से कुचलकर
हँसते हुए आगे बढ़ जाते हैं.
पतंग की मौत
बच्चों के लिए एक खेल है,
इससे ज़्यादा और कुछ भी नहीं.
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 23 सितंबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 22 सितंबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबनाने वाले के लिए जिंदगी एक खेल ही तो है
जवाब देंहटाएंउस के लिए हम और कुछ नहीं।
सटीक।
पधारें अंदाजे-बयाँ कोई और
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (23-09-2019) को "आलस में सब चूर" (चर्चा अंक- 3467) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंवाह बहुत गहरी बात..सुंदर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंपतंग की मौत
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिए एक खेल है,
इससे ज़्यादा और कुछ भी नहीं.
यह एक जीवन दर्शन है। कटी पतंग का फटी पंतग बनना तय है। जब तक हम अपने डोर से जुड़े हैं, तभी तक हमारी पहचान है और जहाँ स्वछंद हुये नहीं कि आकाश से धरातल पर आ गिरते हैं। यह स्थिति दूसरों के लिये तमाशा और हमारे लिये मौत ही है।
आश्रय का त्याग तो संत भी नहीं करता..।
सादर ,
दार्शनिक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसादर
छीना-झपटी में जब
जवाब देंहटाएंपतंग फट जाती है,
ज़मीन पर गिर जाती है,
तो उसके लिए मचल रहे बच्चे
उसे पांवों से कुचलकर
हँसते हुए आगे बढ़ जाते हैं... बेहतरीन सृजन आदरणीय
सादर
गहन विचार सहजता से प्रकट करना एक असाधारण प्रतिभा है ।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम अभिव्यक्ति सतसैया के दोहरे ज्यों नावक के तीर ।
बहुत गहन और सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंछीना-झपटी में जब
पतंग फट जाती है,
ज़मीन पर गिर जाती है,
तो उसके लिए मचल रहे बच्चे
उसे पांवों से कुचलकर
हँसते हुए आगे बढ़ जाते हैं.
गहरा दर्शन।