३५६. माँ की खोज
उस लड़की ने कभी नहीं देखा
अपनी माँ को,
पर माँ तो उसकी रही ही होगी
कभी-न-कभी,कहीं-न-कहीं,
उदास रहती थी वह लड़की,
खोजा करती थी अपनी माँ को.
एक दिन किसी लोकगीत में
उसे मिल गई उसकी माँ,
अब वह लड़की हर वक़्त
वही गीत गुनगुनाती है,
लोग उसे पागल समझते हैं.
जय मां हाटेशवरी.......
जवाब देंहटाएंआप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
28/04/2019 को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (28-04-2019) को " गणित के जादूगर - श्रीनिवास रामानुजन की ९९ वीं पुण्यतिथि " (चर्चा अंक-3319) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
....
अनीता सैनी
बहुत सुन्दर ओंकार जी.
जवाब देंहटाएंलोकगीतों में मिट्टी की महक साथ-साथ माँ की खुशबू भी होती है.
दिल को छूती रचना।
जवाब देंहटाएंजिसने जीवन दिया उसका अहसास ही काफी है ,गीत गुनगुना कोई पागल की निशानी नही ,इसी बात पर एक गाना याद आ गया -----
जवाब देंहटाएंक्या दर्द किसी का लेगा कोई इतना तो किसी मे दर्द नही ,बहते हुए आँसू और बहे अब ऐसी तसल्ली रहने दो ....
हृदस्पर्शी रचना
अद्भुत।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना है ओंकार जी |पढ़कर मन भावुक सा हो गया | माँ को गीत में ढूंढ कर भी इतनी ख़ुशी !!!!!!!! बहुत मर्मस्पर्शी रचना है आपकी | मन को भावुक कर गई| सादर --
जवाब देंहटाएंअपना दर्द गीतों में ढूंढ लेना...अच्छा तरीका है...बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंउम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
जवाब देंहटाएं