इस घर के सामने
एक जीवंत गली है,
पर सामने की ओर
न खिड़की है,
न रोशनदान,
बस एक दरवाज़ा है,
जो बंद रहता है.
इस घर में खिड़कियाँ
पीछे की ओर हैं,
जिनसे झांको,
तो ठीक सामने
दीवार नज़र आती है.
इन खिड़कियों से
मुश्किल से घुसती है
थोड़ी-सी हवा,
ज़रा-सी धूप.
घर की लड़कियां दिन भर
इन्हीं खिड़कियों पर बैठी रहती हैं.
एक जीवंत गली है,
पर सामने की ओर
न खिड़की है,
न रोशनदान,
बस एक दरवाज़ा है,
जो बंद रहता है.
इस घर में खिड़कियाँ
पीछे की ओर हैं,
जिनसे झांको,
तो ठीक सामने
दीवार नज़र आती है.
इन खिड़कियों से
मुश्किल से घुसती है
थोड़ी-सी हवा,
ज़रा-सी धूप.
घर की लड़कियां दिन भर
इन्हीं खिड़कियों पर बैठी रहती हैं.
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (05-05-2019) को
"माँ कवच की तरह " (चर्चा अंक-3326) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
....
अनीता सैनी
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 04/05/2019 की बुलेटिन, " इसलिए पड़े हैं कम वोट - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंनारी स्वतंत्रता की तमाम बातों के बावजूद लड़कियों के जीवन की विडंबना को सांकेतिक तरीके से भलीभाँति उजागर कर दिया आपने।
जवाब देंहटाएंलड़कियों के लिए जीवंतता वर्जित जो है,
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
बेहद खूबसूरत कविता...
जवाब देंहटाएंलड़कियों के जीवन का सटीक चित्रण। बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसटीक चित्रण।
जवाब देंहटाएंउम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
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