अगर सूरज हो,
तो बाहर आओ,
बादलों में दुबके रहोगे,
तो कोई नहीं पूछेगा तुम्हें.
पहाड़ों के पीछे से,
समुद्र के पार से,
जहाँ से भी निकल सको,
अपने पूरे सौंदर्य में निकलो.
कुंकुम बिखेर दो
धरती के कण-कण पर,
दूर भगा दो अँधेरा,
जान डाल दो
ठिठुरी हुई हड्डियों में.
फिर भी अगर होने लगे
तुम्हारी उपेक्षा,
तो टेढ़ी करो ऊँगली,
सिर पर चढ़ जाओ,
आग बरसाओ.
फिर देखना,
कैसे होता है तुम्हारे साथ न्याय,
कैसे मिलती है तुम्हें वह जगह,
जिसके तुम हक़दार हो.
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ... Tit for Tat
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार सच आह्वान ने जो क्रांति को समर्थ हैं वो सूरज के समान सामने आओ बादलों में छुप कर उजाले का भ्रम क्यों..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन दमदार
सूर्य के सौन्दर्य और शक्ति पर सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सटीक एवं सार्थक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबादलों की ओट से बाहर आकर अपना अस्तित्व स्वयं बनाता सूर्य ....बहुत सुन्दर सीख देती रचना
उम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
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