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शनिवार, 19 अगस्त 2017

२७३. अस्तित्व


रेलगाड़ी की दो पटरियां 
एक दूसरे का साथ देती 
चलती चली जाती हैं 
एक ही मंजिल की ओर.

सर्दी-गर्मी,धूप-बरसात 
सब साथ-साथ सहती हैं,
फिर भी बनाए रखती हैं
अपना अलग अस्तित्व.

रेलगाड़ी की पटरियां सिखाती हैं 
कि दो लोग कितने ही क़रीब क्यों न हो,
उन्हें इतना क़रीब नहीं होना चाहिए 
कि अपना अस्तित्व ही खो दें.

8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह्ह्ह....लाज़वाब भाव लिए सुंदर रचना आपकी।

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  2. बहुत सुन्दर यथार्परक सृजन। बधाई।

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  3. बहुत सुंदर भावनाओं से ओत-प्रोत

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  4. उन्हें इतना क़रीब नहीं होना चाहिए
    कि अपना अस्तित्व ही खो दें......बहुत सुन्दर!!!

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  5. कई बार ऐसे में जब अस्तित्व खो जाता है तो परिणाम भयानक हो जाते हैं ...
    अर्थपूर्ण रचना ...

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