वह जो ख़ुद से
बात कर रहा है,
इसलिए कर रहा है
कि दूसरों से बात करने की
उसको इजाज़त नहीं है.
डरते हैं सब उससे,
न जाने क्या बोल बैठे वह,
किसे शर्मिंदा कर दे,
किसका नुकसान कर दे.
पूरे होशो-हवास में है वह,
पर उसे चुप किया जा सके,
तो उसके बोलने का ख़तरा
क्यों उठाया जाय?
वह ख़ुद से बात कर सकता है,
क्योंकि सबको लगता है,
इसमें कोई ख़तरा नहीं,
पर अनाड़ी हैं सब,
उन्हें नहीं पता
कि ख़ुद से बात करने में ही
सबसे ज़्यादा ख़तरा है.
बात कर रहा है,
इसलिए कर रहा है
कि दूसरों से बात करने की
उसको इजाज़त नहीं है.
डरते हैं सब उससे,
न जाने क्या बोल बैठे वह,
किसे शर्मिंदा कर दे,
किसका नुकसान कर दे.
पूरे होशो-हवास में है वह,
पर उसे चुप किया जा सके,
तो उसके बोलने का ख़तरा
क्यों उठाया जाय?
वह ख़ुद से बात कर सकता है,
क्योंकि सबको लगता है,
इसमें कोई ख़तरा नहीं,
पर अनाड़ी हैं सब,
उन्हें नहीं पता
कि ख़ुद से बात करने में ही
सबसे ज़्यादा ख़तरा है.
खतरा भांपना बड़ा मुश्किल है फिर चाहे खुद से बात करने में हो या औरों से बात करने में
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "सात साल पहले भारतीय मुद्रा को मिला था " ₹ " “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (17-07-2017) को "खुली किताब" (चर्चा अंक-2669) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बढ़िया ...
जवाब देंहटाएंखरी बात!
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