क्या आपने बारिश के बाद
कभी घास की खुशबू महसूस की है?
वैसे तो घास जैसी भी हो,
उसकी अपनी महक होती है,
पीली पड़ गई सूखी घास भी
बहुत खुशबू बिखेरती है,
बस ज़रूरत इस बात की है
कि उसे घास न समझा जाय.
अगर घास की ओर देखने का
हमारा नज़रिया बदल जाय,
तो अनाज में जितनी महक होती है,
घास में उससे कम नहीं होती.
महाराणा प्रताप ने घास की रोटी
कभी मजबूरी में खाई थी,
पर मजबूरी न भी हो,
तो भी घास की रोटी का
अपना अलग स्वाद होता होगा,
जैसे उसकी अलग खुशबू होती है.
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंघास के लिए आपने अलग अंदाज़ से सोचा
सुंदर रचना
बहुत सुंदर , प्रकृति की हर शय में खूबसूरती होती है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंघास का सम्बन्ध भी गहरा है इंसान से ...
जवाब देंहटाएंSach hai..
जवाब देंहटाएंघास इस धरती का मूल वस्त्र है सबसे पहला आवरण .
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