अब नहीं लिखूंगा
मैं कोई प्रेम कविता,
वक़्त का तक़ाज़ा है
कि अब बदल दें कवि
अपनी कविताओं का विषय.
सदियों पुराना विश्वास
जब टूट जाय चरमराकर,
मंदिरों का उपयोग
जब होने लगे उकसाने को,
जब निकल पड़े उन्मत्त भीड़
किसी अपने की तलाश में
खून की प्यासी होकर,
जब सरे आम किसी का क़त्ल
इसलिए कर दिया जाय
कि उसने जो खाया था,
उसे वह नहीं खाना चाहिए था,
तो कैसे लिख सकता है कोई कवि
कोई प्रेम कविता?
इसलिए मैं कहता हूँ
कि अब नहीं लिखूंगा
कोई प्रेम कविता,
हालाँकि मैं प्रेम कविताओं का कवि हूँ.
मैं कोई प्रेम कविता,
वक़्त का तक़ाज़ा है
कि अब बदल दें कवि
अपनी कविताओं का विषय.
सदियों पुराना विश्वास
जब टूट जाय चरमराकर,
मंदिरों का उपयोग
जब होने लगे उकसाने को,
जब निकल पड़े उन्मत्त भीड़
किसी अपने की तलाश में
खून की प्यासी होकर,
जब सरे आम किसी का क़त्ल
इसलिए कर दिया जाय
कि उसने जो खाया था,
उसे वह नहीं खाना चाहिए था,
तो कैसे लिख सकता है कोई कवि
कोई प्रेम कविता?
इसलिए मैं कहता हूँ
कि अब नहीं लिखूंगा
कोई प्रेम कविता,
हालाँकि मैं प्रेम कविताओं का कवि हूँ.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-10-2015) को "जब समाज बचेगा, तब साहित्य भी बच जायेगा" (चर्चा अंक - 2133) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सही कहा आपने !
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, दिमागी हालत - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : नई सुबह आई है चुपके से
सुन्दर व सार्थक रचना ..
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
लिखते रहें
जवाब देंहटाएंप्रेम लिखना जरूरी है
कहीं तो रहे
किताबों में ही सही ।
आज दिलों में जब एक दूसरे के लिए प्रेम ही नहीं रहा तो प्रेम कविता लिखना निश्चय ही कठिन है. लेकिन प्रेम को विस्मृत तो नहीं किया जा सकता, एक प्रयास तो ज़रूरी है इस दिशा में..बहुत भावपूर्ण और सटीक रचना...
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी कविता। बधाई। दुर्गा पूजा और दशहरे की शुभकामनाएँ ।
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