कुत्ते जो बंद कमरों में
नर्म बिस्तर पर सोते हैं,
बढ़िया खाना खाते हैं,
प्यार से पुकारे जाते हैं,
दुलारे-पुचकारे जाते हैं,
बड़े बेचारे-से लगते हैं,
जब गले में पट्टा डालकर
सैर पर ले जाए जाते हैं.
इन्हें देखकर भौंकते हैं
गली के आवारा कुत्ते
और ये पट्टे से बंधे
चुपचाप चले जाते हैं.
बिरादरी से अलग-थलग,
इन्हें देखकर लगता है
कि इन्हें सिर्फ़ दुम दबाकर
निकल जाना आता है,
न काटना आता है,
न भौँकना.
बहुत खूब और बिल्कुल सही। मेरे ब्लाग पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सटीक रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंचेतना पर सीधा प्रहार ! अति सुन्दर !
जवाब देंहटाएं