अब सिलेबस बदल दो.
वर्णमाला,पहाड़े ज़रूरी नहीं हैं,
बाद में भी सीखे जा सकते हैं,
पहले उन्हें वह सब सिखाओ,
जो सीखना ज़रूरी है.
उन्हें सिखाओ
कि कोई बम उछाले
तो कैसे लपका जाता है,
खिड़की से बाहर कैसे फेंका जाता है,
कोई गोलियां चलाए,
तो कहाँ छिपा जाता है,
गोली लग जाए,
तो कैसे चुप रहा जाता है,
मरने का अभिनय किया जाता है.
परीक्षा की तैयारी बाद में भी हो जाएगी,
अभी तो ज़रूरी है
कि वे स्कूल के लिए निकलें,
तो न लौटने के लिए तैयार रहें,
यदि बच जाएं,तो साथियों की
चीखें सहने को तैयार रहें.
पढ़ने की आदत ज़रूरी नहीं,
उन्हें आदत होनी चाहिए
कि शरीर के चिथड़े देख सकें,
खून के फव्वारे देख सकें.
अब सिलेबस बदलने के दिन आ गए,
अब यह सीखने के दिन आ गए
कि कम उम्र में कैसे मरा जाता है.
वर्णमाला,पहाड़े ज़रूरी नहीं हैं,
बाद में भी सीखे जा सकते हैं,
पहले उन्हें वह सब सिखाओ,
जो सीखना ज़रूरी है.
उन्हें सिखाओ
कि कोई बम उछाले
तो कैसे लपका जाता है,
खिड़की से बाहर कैसे फेंका जाता है,
कोई गोलियां चलाए,
तो कहाँ छिपा जाता है,
गोली लग जाए,
तो कैसे चुप रहा जाता है,
मरने का अभिनय किया जाता है.
परीक्षा की तैयारी बाद में भी हो जाएगी,
अभी तो ज़रूरी है
कि वे स्कूल के लिए निकलें,
तो न लौटने के लिए तैयार रहें,
यदि बच जाएं,तो साथियों की
चीखें सहने को तैयार रहें.
पढ़ने की आदत ज़रूरी नहीं,
उन्हें आदत होनी चाहिए
कि शरीर के चिथड़े देख सकें,
खून के फव्वारे देख सकें.
अब सिलेबस बदलने के दिन आ गए,
अब यह सीखने के दिन आ गए
कि कम उम्र में कैसे मरा जाता है.
सार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (11-01-2015) को "बहार की उम्मीद...." (चर्चा-1855) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हकीकत को बयां करती रचना.
जवाब देंहटाएंEkdum steek ab yahi sikhana padega.... Samay ko dekhate hue...lajawAab...lajawaab
जवाब देंहटाएंसहमत। पठनीय रचना
जवाब देंहटाएंकटुसत्य को बयां करती रचना !
जवाब देंहटाएंसंत -नेता उवाच !
क्या हो गया है हमें?
गहरा क्षोभ ... गहरी पीड़ा लिए हैं आपके शब्द ...
जवाब देंहटाएंहकीकत भरे शब्द ...
कटु सत्य..
जवाब देंहटाएंगज़ब तेवर और कलेवर लिए रचना...
जवाब देंहटाएंसच ही कहा है आपने ,'अब सिलेबस बदलने के दिन आ गए,'
जवाब देंहटाएंसच कहाँ अगर हमारी दुनिया का सच यहीं हैं तो फ़िर बच्चों के हाथों में कलम की जगह हथियार ही होंगे जिनके लिए हमें तैयैर रहना चाहिए।
जवाब देंहटाएंरंग-ए-जिंदगानी
http://savanxxx.blogspot.in
सच हकीकत भरे शब्द
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