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गुरुवार, 23 अक्तूबर 2014

१४३. इस बार की दिवाली

दियों की रौशनी कुछ मद्धिम सी है,
रंगोली के रंग कुछ फ़ीके से हैं,
मिठाईयों में मिठास कुछ कम सी है,
नमकीन में नमक कुछ ज़्यादा सा है.

इस बार कुछ भी नहीं है संतुलन में,
कहीं कुछ कम है, तो कहीं कुछ ज़्यादा,
यहाँ तक कि पटाखों में भी इस बार 
ध्वनि-प्रदूषण कुछ ज़्यादा सा है.

उदास-उदास सी है इस बार की दिवाली,
तुम आओ, तो दिवाली ज़रा मुस्कराए.

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