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शनिवार, 8 फ़रवरी 2014

११६. वरदान

किसी मुसलमान की बगिया में 
एक सुन्दर फूल खिला,
किसी सिख की गाड़ी में 
वह बाज़ार तक पहुंचा,
किसी ईसाई ने उसे बेचा,
किसी हिंदू ने ख़रीदा 
और मूर्ति पर चढ़ाया.
अचानक चमत्कार हुआ,
भगवान प्रकट हुए,बोले,
"बहुत खुश हूँ मैं आज,
आज मांग, जो चाहे मांग."

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (09-02-2014) को "तुमसे प्यार है... " (चर्चा मंच-1518) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. :-)
    भगवान् तो खुश हैं...
    इंसान यूँ मिलकर खुश रहे तो बात बने.
    बढ़िया रचना.
    सादर
    अनु

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  3. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...

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  4. शायद ऐसा होगा भगवान को भी नहीं भरोसा था ... अच्छा व्यंग ...

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  5. वाह.. सच में ऐसा हो..!! सद् भावना बनी रहे यूँ ही.. सुंदर रचना!!

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