अभी-अभी शुरू हुआ है नल,
बूँद-बूँद आ रहा है पानी,
धीरज रखो, प्यास ज़रूर बुझेगी,
नहा सकेगा पूरा परिवार,
दाल-चावल पकेंगे, आटा गुन्धेगा,
सफाई हो सकेगी आँगन की,
भरी होंगी बाल्टियाँ गुसलखाने में.
बूँद-बूँद आ रहा है पानी,
परेशान क्यों हो, आने दो,
क्या सुना नहीं तुमने
कि बूँद-बूँद से घड़ा भरता है?
तुम्हारा भी भर जाएगा,
बस यह मत पूछना कि
इस तरह घड़ा भरने में
समय कितना लगता है.
वाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबूंद बूंद का खेल खेलता पानी ... या शासन ...
जवाब देंहटाएंबूँद-बूँद आ रहा है पानी,
जवाब देंहटाएंपरेशान क्यों हो, आने दो,
क्या सुना नहीं तुमने
कि बूँद-बूँद से घड़ा भरता है?------
वाह जीवन जीने के सच को व्यक्त करती सहज अनुभूति
सुंदर रचना
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग"उम्मीद तो हरी है' में सम्मलित हों
http://jyoti-khare.blogspot.in
कि बूँद-बूँद से घड़ा भरता है?
जवाब देंहटाएंतुम्हारा भी भर जाएगा,
बस यह मत पूछना कि
इस तरह घड़ा भरने में
समय कितना लगता है.
...बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
बूंद बूंद में उम्मीद ....
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना .....!!
Pahlee baar aayee hun aapke blogpe aur bada achha laga!
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