आजकल बार-बार करना पड़ता है
कुछ शब्दों का प्रयोग,
सोचना नहीं पड़ता उन्हें,
याद हो गए हैं वे,
स्थिति बनते ही
खुद-ब-खुद चले आते हैं.
अपने-आप बैठ जाते हैं
हर किसी की ज़ुबान पर,
बिना किसी प्रयास के
कागज़ पर उतर आते हैं.
आजकल बार-बार प्रयोग में आते हैं
हत्या, बलात्कार,लूट,
अपमान,बेईमान जैसे शब्द,
दूसरों को मौका ही नहीं देते.
आजकल भूलने लगा हूँ मैं
बहुत सारे शब्द
जो बचपन में सीखे थे,
आजकल मैं शब्दकोष
साथ लेकर चलता हूँ.
कुछ शब्दों का प्रयोग,
सोचना नहीं पड़ता उन्हें,
याद हो गए हैं वे,
स्थिति बनते ही
खुद-ब-खुद चले आते हैं.
अपने-आप बैठ जाते हैं
हर किसी की ज़ुबान पर,
बिना किसी प्रयास के
कागज़ पर उतर आते हैं.
आजकल बार-बार प्रयोग में आते हैं
हत्या, बलात्कार,लूट,
अपमान,बेईमान जैसे शब्द,
दूसरों को मौका ही नहीं देते.
आजकल भूलने लगा हूँ मैं
बहुत सारे शब्द
जो बचपन में सीखे थे,
आजकल मैं शब्दकोष
साथ लेकर चलता हूँ.
आजकल भूलने लगा हूँ मैं
जवाब देंहटाएंबहुत सारे शब्द
जो बचपन में सीखे थे,
आजकल मैं शब्दकोष
साथ लेकर चलता हूँ.
बहुत उम्दा, बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति,,,
RECENT POST: दीदार होता है,
वस्तुस्थिति बयां करती कविता ...!!
जवाब देंहटाएंकुछ ऐसे शब्द जो डिक्शनरी में भी नहीं होने चाहियें ... आज आम चलते हैं ..
जवाब देंहटाएंकितना अफ़सोस होता है ... प्रभावी रचना है ...
आजकल बार-बार प्रयोग में आते हैं
जवाब देंहटाएंहत्या, बलात्कार,लूट,
अपमान,बेईमान जैसे शब्द,
दूसरों को मौका ही नहीं देते.
...बिल्कुल सच...बहुत सटीक और सुन्दर प्रस्तुति...