एक छोटा सा बीज था मैं,
अब पौधा बन गया हूँ .
बस थोड़ी सी मिट्टी मिली थी चट्टान पर,
उसी में प्रस्फुटित हुआ
और वहीँ जमा लीं अपनी जड़ें .
यह तो बस शुरुआत है,
धीरे-धीरे वह दिन भी आएगा,
जब मेरी जड़ें इतनी मजबूत होंगीं
कि यह चट्टान फट जाएगी .
कभी मैं और चट्टान
दोनों कठोर थे,
मैंने छोड़ दी अपनी कठोरता,
आने दिया कोमलता को बाहर,
पर चट्टान चूर रही मद में,
छोड़ नहीं पाई कठोरता,
खोज नहीं पाई कोमलता
अपनी सख्त सतह के नीचे .
जब मेरी जड़ें तोड़ेंगी चट्टान को,
तो यह बीज की चट्टान पर नहीं
कोमलता की कठोरता पर विजय होगी .
जब मेरी जड़ें तोड़ेंगी चट्टान को,
जवाब देंहटाएंतो यह बीज की चट्टान पर नहीं
कोमलता की कठोरता पर विजय होगी
बहुत बेहतरीन सुंदर रचना,,,
RECENT POST : बेटियाँ,
वाह......
जवाब देंहटाएंबेहतरीन.....
बहुत बढ़िया रचना ओंकार जी.
विजय के लिए बधाई!!!
सादर
अनु
अच्छी भावाव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें कलम को !
सुंदर भाव हैं कविता के।
जवाब देंहटाएंवाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएं@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ
बहुत सुंदर रचना ... कोमलता चट्टान को भी तोड़ देती है ।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंजब मेरी जड़ें तोड़ेंगी चट्टान को,
तो यह बीज की चट्टान पर नहीं
कोमलता की कठोरता पर विजय होगी -------
बहुत सहजता से गहन चेतावनी देती रचना
.अदभुत रचना
सादर
आग्रह हैं पढ़े
ओ मेरी सुबह--
http://jyoti-khare.blogspot.in
बहुत खूबसूरती से लिखा है है आपने. बधाई.
जवाब देंहटाएंकोमलता की कठोरता पर विजय होगी ..
जवाब देंहटाएंप्रेम की विजय तो निश्चित ही है ... बस सतत प्रयास जरूरी है ... जड़ के सामान ...
भावमय प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंआग्रह है---
तपती गरमी जेठ मास में---
जब मेरी जड़ें तोड़ेंगी चट्टान को,
जवाब देंहटाएंतो यह बीज की चट्टान पर नहीं
कोमलता की कठोरता पर विजय होगी .
....अगर निश्चय दृढ हो तो कोमलता कठोरता पर सदैव विजय पाती है...बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति..
sundar aur sarthak abhivyakti ....
जवाब देंहटाएंप्रभाव छोडती सशक्त कलम ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !