आजकल जिससे भी मिलता हूँ,
उसमें कमी नज़र आती है मुझे,
किसी का चेहरा-मोहरा नहीं जंचता
तो किसी की चाल-ढाल,
किसी का चाल-चलन चुभता है,
तो किसी के बोलने का अंदाज़,
किसी के मुंह की दुर्गन्ध नहीं सुहाती,
तो किसी के पसीने की बदबू.
आजकल जल्दी उकता जाता हूँ मैं,
बना नहीं पाता किसी को भी अपना,
भागता फिरता हूँ हर किसी से,
बस खुद के साथ रहता हूँ मैं.
आजकल बहुत परेशान हूँ मैं,
यही सोचता रहता हूँ
कि बाकी सब वैसे क्यों नहीं
जैसा मैं हूँ,
मेरे अलावा ऐसा कोई क्यों नहीं
जो मुझे अच्छा लगे.
उसमें कमी नज़र आती है मुझे,
किसी का चेहरा-मोहरा नहीं जंचता
तो किसी की चाल-ढाल,
किसी का चाल-चलन चुभता है,
तो किसी के बोलने का अंदाज़,
किसी के मुंह की दुर्गन्ध नहीं सुहाती,
तो किसी के पसीने की बदबू.
आजकल जल्दी उकता जाता हूँ मैं,
बना नहीं पाता किसी को भी अपना,
भागता फिरता हूँ हर किसी से,
बस खुद के साथ रहता हूँ मैं.
आजकल बहुत परेशान हूँ मैं,
यही सोचता रहता हूँ
कि बाकी सब वैसे क्यों नहीं
जैसा मैं हूँ,
मेरे अलावा ऐसा कोई क्यों नहीं
जो मुझे अच्छा लगे.
जैसा मैं हूँ,
जवाब देंहटाएंमेरे अलावा ऐसा कोई क्यों नहीं
जो मुझे अच्छा लगे.,,,bahut acchee,vichaar
recent post...: अपने साये में जीने दो.
कोमल भावो की अभिवयक्ति......
जवाब देंहटाएंमन दुविधा में हो तो
जवाब देंहटाएंऐसा होता है..
ये बैचेनी कुछ दिनों की मेहमान है....
जवाब देंहटाएंखुद से नाखुश आखिर कब तक रहा जा सकता है :-)
सादर
अनु
मन के द्वंद्व को बखूबी लिखा है ।
जवाब देंहटाएंye pareshani to aaj sabhi ko hai vyakul bhavon ko bahut sundar shabdon me abhivyakt kiya hai aapne.
जवाब देंहटाएंभावमय करते शब्द ... बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंशब्दों की जीवंत भावनाएं.सुन्दर चित्रांकन,पोस्ट दिल को छू गयी..कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने.बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावनायें और शब्द पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने...बहुत खूब.आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.