जल रहा है चूल्हे पर तवा,
सेंक रही है चपातियाँ गृहिणी.
सोच रही है, उसे भी सेंका जाता है
इसी तरह उलट-पलटकर हर रोज,
पर लगता है पूरी तरह सिंकी नहीं वह,
वरना सिंकने के बाद कहाँ लौटती हैं
वापस गर्म तवे पर चपातियाँ.
गृहिणी सोचती है,
उससे ज्यादा भाग्यवान हैं चपातियाँ,
जो कभी लापरवाही से जल जाती हैं,
कम-से-कम मुक्त तो हो जाती हैं.
एक वह है, जो न सिंकती है,
न जलती है, न राख होती है,
बस सुर्ख लाल तवे पर
हर समय चढ़ी रहती है.
सेंक रही है चपातियाँ गृहिणी.
सोच रही है, उसे भी सेंका जाता है
इसी तरह उलट-पलटकर हर रोज,
पर लगता है पूरी तरह सिंकी नहीं वह,
वरना सिंकने के बाद कहाँ लौटती हैं
वापस गर्म तवे पर चपातियाँ.
गृहिणी सोचती है,
उससे ज्यादा भाग्यवान हैं चपातियाँ,
जो कभी लापरवाही से जल जाती हैं,
कम-से-कम मुक्त तो हो जाती हैं.
एक वह है, जो न सिंकती है,
न जलती है, न राख होती है,
बस सुर्ख लाल तवे पर
हर समय चढ़ी रहती है.
जवाब देंहटाएंएक वह है, जो न सिंकती है,
न जलती है, न राख होती है,
बस सुर्ख लाल तवे पर
हर समय चढ़ी रहती है...बहुर अच्छी गहरी रचना
एक वह है, जो न सिंकती है,
जवाब देंहटाएंन जलती है, न राख होती है,
बस सुर्ख लाल तवे पर
हर समय चढ़ी रहती है.
...एक कटु सत्य...बहुत सशक्त प्रस्तुति..
महिलाओं की सामाजिक स्थिति का सटीक चित्रण. उनके रोजमर्रे से जुड़े उपमा, उपमेय और बिंब बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंअच्छा सरोकार है
जवाब देंहटाएंबस सुर्ख लाल तवे पर
जवाब देंहटाएंहर समय चढ़ी रहती है.
kartavya me leen ...
sundar aur sarthak rachna ...
shubhkamnayen ...!!
बहुत ख़ूबसूरत सृजन, बधाई.
हटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें , अपना स्नेह प्रदान करें.
Very Sad Said, But Very True also.
जवाब देंहटाएंबहुत ही संवेदनशील ...
जवाब देंहटाएंप्रभावी रचना ... नारी के मन की यंत्रण को लिखा है शब्दों में ...
कल 24/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
वाह क्या तारतम्य संजोया है. सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिये शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंबस सुर्ख लाल तवे पर
जवाब देंहटाएंहर समय चढ़ी रहती है.kya baat hai.....
बहुत सशक्त रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही संवेदनशील रचना..
जवाब देंहटाएंएक वह है, जो न सिंकती है,
न जलती है, न राख होती है,
बस सुर्ख लाल तवे पर
हर समय चढ़ी रहती है.
गहरे भाव लिए रचना..
बिल्कुल ही नया बिम्ब, वाह !!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंhttp://kuchmerinazarse.blogspot.in/2012/09/blog-post_27.html
जवाब देंहटाएंगहरे भाव...जिंदगी के फलसफ़े को समेटते हुए एक उम्दा रचना |
जवाब देंहटाएंसादर नमन |
onkar jee mere blog pe aane ke liye thanks
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