top hindi blogs

शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023

७०८.रिश्तों की चादर

 



आओ उतार फेंके

यह रिश्तों की चादर, 

बहुत छीज गई है यह, 

एकाध जगह से फटी होती, 

तो रफ़ू हो सकती थी, 

अब बेमन से ही सही

इसे छोड़ना ही बेहतर है। 


बहुत कमज़ोर है 

यह रिश्तों की चादर, 

यहाँ से सिलो, 

तो वहाँ से फट जाती है, 

पर चाहूँ भी, 

तो बदल नहीं सकता इसे,

बाज़ार में मिलती जो नहीं है। 


कई बार रफ़ू करा लिया है,

पर अब तो यह 

वहाँ से भी फट गई है, 

जहाँ रफ़ू कराई थी, 

अभी ओढ़े रखना चाहता हूँ इसे, 

पर दर्जी कहता है, 

अब संभव नहीं है 

इसे रफ़ू करना। 


सब कहते हैं

ओढ़े रहो यह रिश्तों की चादर, 

पर यह तो वहाँ से भी फट गई है, 

जहाँ से रफ़ू हुई थी, 

आप ही कहिए, 

क्या अच्छा रहेगा, 

रफ़ू पर रफ़ू करवाना ? 


संभाल कर रखना 

यह रिश्तों की चादर, 

कहीं छेद न हो जाए इसमें, 

अच्छा नहीं लगता

साफ़ साबुत चादर में 

एक भी छेद हो जाना।


5 टिप्‍पणियां:

  1. गहन और भावपूर्ण भावाभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार 16 अप्रैल 2023 को 'बहुत कमज़ोर है यह रिश्तों की चादर' (चर्चा अंक 4656) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    जवाब देंहटाएं
  3. भावपूर्ण हृदय स्पर्शी सृजन आदरणीय।

    जवाब देंहटाएं
  4. समय के परिप्रेक्ष्य में बहुत ज़रूरी कविता।

    जवाब देंहटाएं