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मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

४९७. दुर्गा से



दुर्गा,

इस बार मैंने देखा,

तुम ज़रा उदास थी,

सिंह,जिस पर तुम सवार थी,

थोड़ा सुस्त-सा था,

शस्त्र जो तुमने थामे थे,

थोड़े कुंद-से थे,

महिषासुर के चेहरे पर 

थोड़ी निश्चिन्तता थी.


दुर्गा,

तुम्हें विदा करते हुए 

मैंने महसूस किया 

कि इस बार यहाँ आकर 

तुम्हें अच्छा नहीं लगा.


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