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शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

४८२.सेमल




बगीचे में चुपचाप खड़ा 

एक सेमल का पेड़ 

कितने रंग दिखाता है,

कभी हरे पत्ते,

कभी गहरे लाल फूल,

तो कभी सूखे पीले पत्ते.


कभी-कभी तो सेमल 

बिल्कुल ठूंठ बन जाता है,

न पत्ते, न फूल,

उसकी एक-एक हड्डी 

साफ़-साफ़ दिखाई पड़ती है.


जब लगता है 

कि अब सेमल चुक गया,

दिन लद गए उसके,

वह लौटता है पूरी ताक़त से 

और बिछा देता है ज़मीन पर 

सफ़ेद,कोमल रूई का ग़लीचा.

14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर कविता!🌻स्कूल के दिनों की याद गई

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 19 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (२०-०९-२०२०) को 'भावों के चंदन' (चर्चा अंक-३०३८) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  4. सुंदर शोध सेमल पर ,सभी रंग दिखा दिए आपने अपनी छोटी कविता में।
    सुंदर सहज सृजन।

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  5. सेमल के कितने रूप समा गए छोटी सी रचना में। इंसान का जीवन भी तो ऐसा ही है !!!

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  6. सेमल भी इंसान के जीवन सा ही है....।
    बहुत सुन्दर... सार्थक
    लाजवाब सृजन।

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