मैंने तय कर लिया है
कि आज रात निकलूँगा
एक सुहाने सफ़र पर.
देखूँगा
आसमान में चमकते सितारे,
झील में उतरा चाँद,
महसूस करूंगा
आवाज़ों का चुप होना,
कहीं-कहीं झींगुरों का गीत
या दूर कहीं बजता
मीठा-सा संगीत।
रात के हाथों में हाथ डाले
मैं चलता रहूंगा,
जब तक कि सुबह न हो जाय.
फिर शोरगुल शुरू होगा,
अफ़रा-तफ़री मचेगी,
न सितारे होंगे, न चाँद,
अजीब सी जल्दी में होंगे लोग,
बदहवास होंगे सब-के-सब,
सूरज ताक में होगा हमले की,
हवाओं में दहक उठेंगे अंगारे।
मेरे सोने के लिए
इससे अच्छा समय
और क्या होगा?
रात के हाथों में हाथ डाले
जवाब देंहटाएंमैं चलता रहूंगा,
जब तक कि सुबह न हो जाय.
फिर शोरगुल शुरू होगा,
अफ़रा-तफ़री मचेगी,
न सितारे होंगे, न चाँद,
अजीब सी जल्दी में होंगे लोग,
बदहवास होंगे सब-के-सब,
सूरज ताक में होगा हमले की,
हवाओं में दहक उठेंगे अंगारे।
मेरे सोने के लिए
इससे अच्छा समय
और क्या होगा?....बहुत ही सुन्दर वर्णन आदरणीय
सादर
बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंगहरे भाव हैं ...
बहुत प्रैक्टिकल अप्रोच ! नाइट-शिफ्ट में दुगुना मेहनताना जो मिलता है.
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 22 फरवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.....
जवाब देंहटाएंअलग ही तरह की रचना आदरणीय
सूरज ताक में होगा हमले की,
जवाब देंहटाएंहवाओं में दहक उठेंगे अंगारे।
बहुत खूब...
बहुत खूब....., सादर नमन आदरणीय
जवाब देंहटाएं