अगर किसी बात पर
तुम्हारा दिल भर आए,
आंसू तुम्हारी पलकों तक चले आएं,
तो उन्हें पलकों में ही रोक लेना,
छलकने मत देना.
एक तो कमज़ोरी की निशानी है रोना
और कमज़ोर दिखना अच्छा नहीं है,
दूसरे, रोना सख्त़ मना है,
क्योंकि तुम्हारे रोने से
दूसरों की हंसी में
ख़लल पड़ता है.
तुम्हारा दिल भर आए,
आंसू तुम्हारी पलकों तक चले आएं,
तो उन्हें पलकों में ही रोक लेना,
छलकने मत देना.
एक तो कमज़ोरी की निशानी है रोना
और कमज़ोर दिखना अच्छा नहीं है,
दूसरे, रोना सख्त़ मना है,
क्योंकि तुम्हारे रोने से
दूसरों की हंसी में
ख़लल पड़ता है.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-06-2016) को गला-काट प्रतियोगिता, प्रतियोगी बस एक | चर्चा अंक-2646 पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह वाकई रोना नहीं चाहिए
जवाब देंहटाएंसच्ची बात कही है
बहुत सच है आप की रचना में किसी के आंसू किसी की हंसी बन जाते है ।बहुत अच्छी रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना..... आभार
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई रचना पर आपके विचारों का इन्तजार।
Happy Father's Day!
बहुत सुंदर रचनाएँ है आपकी,आज पहली बार पढ़ी है बहुत अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में बड़ी गहरी बात ।
जवाब देंहटाएंदूसरे, रोना सख्त़ मना है,
जवाब देंहटाएंक्योंकि तुम्हारे रोने से
दूसरों की हंसी में
ख़लल पड़ता है.
सत्य कहा आदरणीय ,आज का वातावरण ऐसा है, ये समाज ही परिस्थितियां उत्तपन्न करता है इसके लिए आपको ही दोषी ठहराता है सुन्दर व विचारणीय रचना आभार। "एकलव्य"
वाह .... गहरी बात ... कितना कुछ कह गयीं ये पंक्तियाँ ...
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