गाँव के लोग उठ जाते हैं
मुंह अँधेरे,
पर गाँव का स्टेशन सोया रहता है.
उसे जल्दी नहीं उठने की,
उठ भी जाएगा तो करेगा क्या?
हांफते-हांफते
दोपहर बाद पंहुचेगी
गाँव में रुकनेवाली
इकलौती पैसेंजर ट्रेन
और फिर सन्नाटा.
कभी गाड़ी लेट हो जाती है
या रद्द हो जाती है,
तो अकेलापन महसूस करता है
गाँव का स्टेशन,
बहुत उदास हो जाता है
गाँव का स्टेशन,
सोचता है कि अगर वह नहीं होता
तो भी गाँव को
शायद ही कोई फ़र्क पड़ता.
मुंह अँधेरे,
पर गाँव का स्टेशन सोया रहता है.
उसे जल्दी नहीं उठने की,
उठ भी जाएगा तो करेगा क्या?
हांफते-हांफते
दोपहर बाद पंहुचेगी
गाँव में रुकनेवाली
इकलौती पैसेंजर ट्रेन
और फिर सन्नाटा.
कभी गाड़ी लेट हो जाती है
या रद्द हो जाती है,
तो अकेलापन महसूस करता है
गाँव का स्टेशन,
बहुत उदास हो जाता है
गाँव का स्टेशन,
सोचता है कि अगर वह नहीं होता
तो भी गाँव को
शायद ही कोई फ़र्क पड़ता.
आपकी रचना बहुत सुन्दर है। हम चाहते हैं की आपकी इस पोस्ट को ओर भी लोग पढे । इसलिए आपकी पोस्ट को "पाँच लिंको का आनंद पर लिंक कर रहे है आप भी कल रविवार 5 फरवरी 2017 को ब्लाग पर जरूर पधारे ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर।
जवाब देंहटाएंबिलकुल यथार्थ ।।।बहुत सुंदर ।।।
जवाब देंहटाएंदुखद पहलु है अब गांव सूने होते जा रहे हैं
जवाब देंहटाएंसार्थक चिंतनशील रचना
उम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
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