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शनिवार, 31 दिसंबर 2016

२४१. बीते साल की पीड़ा




साल-भर मैंने तुम्हारा साथ दिया,
तुम्हारे सुख में हंसा, तुम्हारे दुःख में रोया,
तुम्हारी सफलताओं पर इतराया,
तुम्हारी विफलताओं पर हौसला बढ़ाया,
तुम सोये, पर मैं जागता रहा,
आराम नहीं किया पल भर भी,
फिर क्यों फेर लिया मुंह तुमने,
क्यों झटक दी ऊँगली जो थाम रखी थी?

नए साल के स्वागत में इतना खो गए
कि तुम भूल ही गए, 
कभी मैं भी तुम्हारे साथ था,
मुझे विदा करना तो दूर 
मुड़ कर भी नहीं देखा तुमने.

अरे स्वार्थी, निष्ठुर, एहसानफ़रामोश,
मैं जा रहा हूँ तुमसे दूर,
फिर लौट कर नहीं आऊँगा,
तुम पुकारोगे तो भी नहीं,
पर जाते-जाते दुआ करूँगा
कि जैसा तुमने मेरे साथ किया,
कोई तुम्हारे साथ न करे.

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-01-2017) को "नए साल से दो बातें" (चर्चा अंक-2575) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    नववर्ष 2017 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सच कहां आपने, सुन्दर शब्द रचना
    नव वर्ष की मंगलकामनाएं
    http://savanxxx.blogspot.in

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