बहुत चाहता हूँ मैं तुम्हें,
ख़ुद से भी ज़्यादा,
कोई फ़िल्मी डायलाग नहीं है यह,
हकीक़त है,
जैसे किस्से कहानियों में
राजा की जान तोते में होती थी,
मेरी तुममें है.
सब कहते हैं
कि तुम्हारे लिए मेरा प्यार
उनकी समझ से परे है,
सब कहते हैं
कि तुम इतना प्यार डिज़र्व नहीं करते,
सच कहूं ,
तो मुझे भी यही लगता है,
पर प्यार यह देखकर तो नहीं होता
कि कौन उसके लायक है
और कितना.
मैं जानता हूँ
कि तुम उतने प्यार के हक़दार नहीं
जितना मैं तुम्हें करता हूँ,
पर मैं चाहूं भी
तो कुछ नहीं कर सकता,
क्योंकि यह मैं नहीं,
मेरा दिल है,
जो तुम्हें प्यार करता है.
ख़ुद से भी ज़्यादा,
कोई फ़िल्मी डायलाग नहीं है यह,
हकीक़त है,
जैसे किस्से कहानियों में
राजा की जान तोते में होती थी,
मेरी तुममें है.
सब कहते हैं
कि तुम्हारे लिए मेरा प्यार
उनकी समझ से परे है,
सब कहते हैं
कि तुम इतना प्यार डिज़र्व नहीं करते,
सच कहूं ,
तो मुझे भी यही लगता है,
पर प्यार यह देखकर तो नहीं होता
कि कौन उसके लायक है
और कितना.
मैं जानता हूँ
कि तुम उतने प्यार के हक़दार नहीं
जितना मैं तुम्हें करता हूँ,
पर मैं चाहूं भी
तो कुछ नहीं कर सकता,
क्योंकि यह मैं नहीं,
मेरा दिल है,
जो तुम्हें प्यार करता है.
प्रेम की सुन्दर भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल रविवार (02-10-2016) के चर्चा मंच "कुछ बातें आज के हालात पर" (चर्चा अंक-2483) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंमहात्मा गान्धी और पं. लालबहादुर शास्त्री की जयन्ती की बधायी।
साथ ही शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
bahut sundar...
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंumda
जवाब देंहटाएंBahut accha likhte hai sir aap
जवाब देंहटाएंबहुर खूब .... प्रेम को लिख दिया ...
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