देर रात एक हादसा हुआ,
ग़लती से चाँद झील में उतर गया,
मैंने देखा उसे,
सतह पर चुपचाप पड़ा था,
पर ज़िन्दा था, क्योंकि हिल रहा था.
मैं परेशान था कि उसे बचाऊं कैसे,
झील से उसे निकालूँ कैसे,
इसी उधेड़बुन में सुबह हो गई.
बचाने की तैयारी पूरी हुई,
तो देखा कि चाँद ग़ायब था,
किसी ने उसे निकलते नहीं देखा,
गोताखोरों को नहीं मिली उसकी देह,
फिर क्या हुआ उस चाँद का,
जो कल रात झील में उतरा था.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (19-06-2016) को "स्कूल चलें सब पढ़ें, सब बढ़ें" (चर्चा अंक-2378) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
एक रहस्य जो सिर्फ चाँद जानता है ... अच्छी रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंउम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा लिखावट , बहुत ही सुंदर और सटीक तरह से जानकारी दी है आपने ,उम्मीद है आगे भी इसी तरह से बेहतरीन article मिलते रहेंगे Best Whatsapp status 2020 (आप सभी के लिए बेहतरीन शायरी और Whatsapp स्टेटस संग्रह) Janvi Pathak
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