२१७. ग़म के आंसू
ग़म में निकलते हैं आंसू,
ख़ुशी में भी निकलते हैं,
जिस हाल में भी निकलें,
राहत-भरे होते हैं आंसू.
ग़म के हों या ख़ुशी के हों आंसू
वैसे तो एक जैसे होते हैं,
पर न जाने मुझे
ऐसा क्यों महसूस होता है
कि जो आंसू ग़म में निकलते हैं,
उनमें नमक थोड़ा ज़्यादा होता है.
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जवाब देंहटाएंगम के आँसुऔ में शायद नमक होता है.....जो जमाने ने जख्मों पर डाला होता है। एक वेहतरीन रचना । मुझे अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंगहन अहसास...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... कुछ तो फर्क होता ही है दोनों आंसुओं में ... गहरी आह भी तो होती है गम के आंसुओं में ....
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