मेरी आँखें खुली हैं,
पर मैं नींद में हूँ,
चल रहा हूँ,
मंज़िल से भटक रहा हूँ,
पर नींद है कि टूटती नहीं,
कोई झकझोरे तो भी नहीं.
आँखें खुली हों,
फिर भी जो नींद में हो,
उसे पता होना ज़रूरी है
कि वह नींद में है,
यह जागने की पहली शर्त है.
पर मैं नींद में हूँ,
चल रहा हूँ,
मंज़िल से भटक रहा हूँ,
पर नींद है कि टूटती नहीं,
कोई झकझोरे तो भी नहीं.
आँखें खुली हों,
फिर भी जो नींद में हो,
उसे पता होना ज़रूरी है
कि वह नींद में है,
यह जागने की पहली शर्त है.
बहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (28-02-2016) को "प्रवर बन्धु नमस्ते! बनाओ मन को कोमल" (चर्चा अंक-2266) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सार्थक व प्रशंसनीय रचना...
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है।
बहुत खूब ... नींद में होने वाले को उठाया जा सकता है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति.....बहुत बहुत बधाई.....
जवाब देंहटाएंKya baat hai...badhiya shart hai
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा लिखावट , बहुत ही सुंदर और सटीक तरह से जानकारी दी है आपने ,उम्मीद है आगे भी इसी तरह से बेहतरीन article मिलते रहेंगे Best Whatsapp status 2020 (आप सभी के लिए बेहतरीन शायरी और Whatsapp स्टेटस संग्रह) Janvi Pathak
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