मेरे गाँव में अब स्कूल बंद है।
मांओं ने कह दिया है
बच्चे स्कूल नहीं जाएंगे,
बच्चे भी डरे-सहमे हैं
कि गए तो लौटेंगे या नहीं.
बेकार बैठे हैं टीचर,
खाली पड़ी हैं मेज -कुर्सियां,
स्लेट पर अब नहीं मिलता
चॉक की लिखाई का कोई निशान।
यहाँ की दीवारें खामोश हैं
और दरवाज़े गुमसुम,
नहीं सुनती अब यहाँ
अजान-सी कोई मासूम हँसी,
अब तो कबूतरों ने भी
कहीं दूर बना लिए हैं बसेरे.
पेशावर की घटना के बाद
मेरे गाँव का स्कूल बंद है,
दरअसल पाकिस्तान में कुछ भी होता है,
तो मेरे यहाँ उसका बहुत असर होता है.
मांओं ने कह दिया है
बच्चे स्कूल नहीं जाएंगे,
बच्चे भी डरे-सहमे हैं
कि गए तो लौटेंगे या नहीं.
बेकार बैठे हैं टीचर,
खाली पड़ी हैं मेज -कुर्सियां,
स्लेट पर अब नहीं मिलता
चॉक की लिखाई का कोई निशान।
यहाँ की दीवारें खामोश हैं
और दरवाज़े गुमसुम,
नहीं सुनती अब यहाँ
अजान-सी कोई मासूम हँसी,
अब तो कबूतरों ने भी
कहीं दूर बना लिए हैं बसेरे.
पेशावर की घटना के बाद
मेरे गाँव का स्कूल बंद है,
दरअसल पाकिस्तान में कुछ भी होता है,
तो मेरे यहाँ उसका बहुत असर होता है.
बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : वह उपहार देने स्वर्ग से आता है
मार्मिक !!
जवाब देंहटाएंमंगलकामनाएं आपको !!
सच कहा है ... काश दुनिया में अमन चैन ही रहे ...
जवाब देंहटाएंअमन...कितना मुश्किल ह न।
हटाएंवाह !! एक अलग अंदाज़ कि रचना ......बहुत खूब
जवाब देंहटाएं