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मंगलवार, 17 जनवरी 2023

६९२. बूढ़ी सड़क

 


तुम्हें याद है न 

कि इसी पतली सड़क पर चलकर 

तुम कभी हाईवे तक पहुंचे थे?

अब यह सड़क जगह-जगह से 

टूट-फूट गई है,

किसी काम की नहीं रही,

पर अच्छा नहीं लगता 

कि कोई सड़क इस हाल में रहे. 

एहसान चुकाने के लिए ही सही,

इसकी थोड़ी मरम्मत करवा दो

या यही सोचकर करवा दो 

कि कल किसने देखा है,

कौन जाने, कभी इसी सड़क से 

तुम्हें वापस लौटना पड़े?

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 19 जनवरी 2023 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  2. रास्ते से गुजर जाने के बाद लोग भूल जाते हैं। सड़क ने भी साथ दिया था उसका हाइवे तक पहुँचने में। बहुत सुंदर कहा आपने।

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  3. लौटता है इंसान हर उस सड़क पर जहाँ से गुज़रता है ... गहरी सम्वेदंनशील रचना ...

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  4. दूसरों के लिए ना सही तो अपने लिए ही सही बूढ़घ सड़क की भी मरम्मत करवा दो ।बहुत सुंदर गहन अर्थ लिए भावपूर्ण सृजन ।

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  5. कल किसने देखा है,
    कौन जाने, कभी इसी सड़क से
    तुम्हें वापस लौटना पड़े?
    गहन अभिव्यक्ति ।

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  6. कल किसने देखा है,
    कौन जाने, कभी इसी सड़क से
    तुम्हें वापस लौटना पड़े?
    जीवन की सच्चाई पर अद्भुत लेखन।

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  7. वाह ! वाक़ई हर किसी को एक न एक दिन लौटकर आना ही होता है

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