top hindi blogs

शुक्रवार, 4 नवंबर 2022

६७७. पुराने ख़त

 


पिता,

तुमने जो ख़त लिखे थे,

मैंने कभी सहेज कर रखे ही नहीं,

सोचा, क्या रखना उन ख़तों को,

जो चले आते हैं हर तीसरे दिन. 


कितना कबाड़ रहता था 

मेरी संदूकों और अलमारियों में,

जगह नहीं थी तो बस 

तुम्हारे ख़तों के लिए. 


इतने अरसे बाद याद नहीं 

कि तुमने  ख़तों में लिखा क्या था,

मन करता है उन्हें दुबारा पढ़ने का,

पर मैंने तो कब का फाड़ दिया उन्हें. 


काश कि तुम्हारे ख़त 

किसी ‘रीसायकल बिन’ में पड़े होते,

जहाँ से मैं उन्हें ‘रिस्टोर’ कर सकता 

और रख सकता कहीं किसी ‘क्लाउड’ पर.


14 टिप्‍पणियां:

  1. ओह...वह खत अनमोल निधि थे...बहुत सा रहा होगा वक्त और अहसास उनमें...। आज केवल महसूस कर सकते हैं...काश कि वह आज भी होते। बहुत ही गहन भाव वाली रचना।

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 06 नवम्बर 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (6-11-22} को "करलो अच्छे काम"(चर्चा अंक-4604) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  4. आधुनिक परिप्रेक्ष्य के शब्दों का प्रयोग कर संप्रेशण की नवीनता का परिचय आपने दिया है. साधुवाद!
    कृपया मेरे ब्लॉग marmagyanet.blogspot.com पर "पिता" पर लिखी मेरी कविता और मेरी अन्य रचनाएँ भी अवश्य पढ़ें और अपने विचारों से अवगत कराएं.
    पिता पर लिखी इस कविता को मैंने यूट्यूब चैनल पर अपनी आवाज दी है. उसका लिंक मैंने अपने ब्लॉग में दिया है. उसे सुनकर मेरा मार्गदर्शन करें. सादर आभार ❗️ --ब्रजेन्द्र नाथ

    जवाब देंहटाएं
  5. सच है। माता पिता की कदर बहुत देर से होती है।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुन्दर सार्थक हृदय स्पर्शी रचना

    जवाब देंहटाएं
  7. काश कि तुम्हारे पुराने ख़त
    किसी ‘रीसायकल बिन’ में पड़े होते,
    जहाँ से मैं उन्हें ‘रिस्टोर’ कर सकता
    और रख सकता कहीं किसी ‘क्लाउड’ पर.
    वाह !! अति सुन्दर !!

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह!गहरे भाव लिए ,सुंदर सृजन

    जवाब देंहटाएं
  9. आदरणीय सर , सादर नमन । आपक इयह रचना बहुत ही गहरी और भावपूर्ण है । माता -पिता के साथ समय बिताना , उनसे बात -चीत करना और उनके प्रति प्रेम और आदर दर्शाना कभी -कभी बहुत देर से याद आता है । दिल को छु गई आपकी यह रचना । पुनः आभार एवं प्रणाम ।

    जवाब देंहटाएं