top hindi blogs

गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

४२१. पंछियों से

Dawn, Sunrise, Early Morning, Skies

पंछियों, इतना मत इतराओ,
किसी भ्रम में न रहो,
हम अभी यहीं हैं,
इसी दुनिया में,
बस चंद रोज़ और,
हम लौट कर आएंगे, 
तुम्हें वापस जाना होगा,
हमारी दुनिया में तुम्हारे लिए 
कहीं कोई जगह नहीं है.

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 10 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. मानव ने अतिक्रमण हद्दे लांघ दी है।
    अच्छी रचना।

    जवाब देंहटाएं
  3. मानव अब बदल रहा है, प्रकृति का सम्मान करना उसे सीखना ही होगा

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर ,अनिता जी से सहमत हूँ ,नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर और गहरा कटाक्ष, मनुष्य की हैवानियत पर।

    जवाब देंहटाएं