३०३.वसंत की दस्तक
वसंत ने दस्तक दी है,
हल्की-सी ठण्ड लिए
धीरे-से हवा चली है.
कांप उठे हैं नए कोमल पत्ते,
मत रोको उन्हें,
कुछ ग़लत नहीं है उनके सिहरने में,
इस उम्र में और इस मौसम में
ऐसा ही होता है.
अगर रोकोगे उन्हें,
तो पीले पड़ जाएंगे,
बिल्कुल तुम जैसे हो जाएंगे.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (19-03-2018) को ) "भारतीय नव वर्ष नव सम्वत्सर 2075" (चर्चा अंक-2914) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
प्यारे भाव की कविता
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