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शुक्रवार, 19 अगस्त 2016

२२४. बदले हालात

उन्हें पसंद नहीं 
तुम्हारा आँखें दिखाना.
वे कुछ भी कहें,
तुम सिर झुकाए सुनती रहो,
बीच-बीच में नाड़ हिलाकर 
हामी भर दो, 
तो और भी अच्छा.

बदले हालात को पहचानो,
अब छूट चुका है तुम्हारा मायका,
हो चुकी हो तुम किसी और की,
खो चुकी हो अपनी पहचान,
अब सिर्फ़ कठपुतली हो तुम.

जिस दुनिया में तुम हो,
वह एक अलग दुनिया है,
वहां शादीशुदा महिलाओं का  
आँखें दिखाना सख्त मना है.

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (21-08-2016) को "कबूतर-बिल्ली और कश्मीरी पंडित" (चर्चा अंक-2441) पर भी होगी।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 21 अगस्त 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  3. बहुत ही गहरी रचना .. नारी की स्थिति को बाखूबी लिखा है ...

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  4. बहुत ही अच्छे से आपने महिला के शादी के बाद की स्थिति को बयां किया है ......

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