उन्हें पसंद नहीं
तुम्हारा आँखें दिखाना.
वे कुछ भी कहें,
तुम सिर झुकाए सुनती रहो,
बीच-बीच में नाड़ हिलाकर
हामी भर दो,
तो और भी अच्छा.
बदले हालात को पहचानो,
अब छूट चुका है तुम्हारा मायका,
हो चुकी हो तुम किसी और की,
खो चुकी हो अपनी पहचान,
अब सिर्फ़ कठपुतली हो तुम.
जिस दुनिया में तुम हो,
वह एक अलग दुनिया है,
वहां शादीशुदा महिलाओं का
आँखें दिखाना सख्त मना है.
तुम्हारा आँखें दिखाना.
वे कुछ भी कहें,
तुम सिर झुकाए सुनती रहो,
बीच-बीच में नाड़ हिलाकर
हामी भर दो,
तो और भी अच्छा.
बदले हालात को पहचानो,
अब छूट चुका है तुम्हारा मायका,
हो चुकी हो तुम किसी और की,
खो चुकी हो अपनी पहचान,
अब सिर्फ़ कठपुतली हो तुम.
जिस दुनिया में तुम हो,
वह एक अलग दुनिया है,
वहां शादीशुदा महिलाओं का
आँखें दिखाना सख्त मना है.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (21-08-2016) को "कबूतर-बिल्ली और कश्मीरी पंडित" (चर्चा अंक-2441) पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 21 अगस्त 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहरी रचना .. नारी की स्थिति को बाखूबी लिखा है ...
जवाब देंहटाएंगहरी रचना .
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे से आपने महिला के शादी के बाद की स्थिति को बयां किया है ......
जवाब देंहटाएंउम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् Aadharseloan (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह जिसकी मदद से ले सकते है आप घर बैठे लोन) Aadharseloan
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