कब तक चलेगा दोषारोपण,
खुद को सही ठहराने का प्रयास
और एक दूसरे से आस
कि माफ़ी मांगे गलती के लिए.
उम्र निकल गई इसी तरह,
वरना न तुम चाहते थे दूरी
न मैं चाहता था मुंह मोड़ना,
दोनों ने चाहा था साथ चलना.
वह दीवार बड़ी कच्ची थी,
जो दोनों के बीच खड़ी थी,
पर हमने ज़ोर ही नहीं लगाया,
खुद-ब-खुद वह गिरती कैसे,
सारी ज़िंदगी उसे सहारा जो दिया.
अब मैं ज़रा जल्दी में हूँ,
मर गया तो तुम्हें कहाँ खोजूंगा,
चलो कह देता हूँ कि गलती मेरी थी
और यह भी कि तुमने मुझे माफ किया.
खुद को सही ठहराने का प्रयास
और एक दूसरे से आस
कि माफ़ी मांगे गलती के लिए.
उम्र निकल गई इसी तरह,
वरना न तुम चाहते थे दूरी
न मैं चाहता था मुंह मोड़ना,
दोनों ने चाहा था साथ चलना.
वह दीवार बड़ी कच्ची थी,
जो दोनों के बीच खड़ी थी,
पर हमने ज़ोर ही नहीं लगाया,
खुद-ब-खुद वह गिरती कैसे,
सारी ज़िंदगी उसे सहारा जो दिया.
अब मैं ज़रा जल्दी में हूँ,
मर गया तो तुम्हें कहाँ खोजूंगा,
चलो कह देता हूँ कि गलती मेरी थी
और यह भी कि तुमने मुझे माफ किया.
बहुत उम्दा भावपूर्ण प्रस्तुति ,सुंदर रचना,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : प्यार में दर्द है,
गहन भावभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंवह दीवार बड़ी कच्ची थी,
जवाब देंहटाएंजो दोनों के बीच खड़ी थी,
पर हमने ज़ोर ही नहीं लगाया,
खुद-ब-खुद वह गिरती कैसे,
सारी ज़िंदगी उसे सहारा जो दिया....
कभी कभी अपने अपने अहम इतने ऊंचे हो जाते हैं की कोई पहल नहीं करना चाहता ...
भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...