जो लोग कहते हैं
कि सारे युद्ध औरतों के कारण हुए,
वे अपराधी हैं मानव जाति के,
जिन्होंने रचा है ऐसा इतिहास,
वे अपराधी हैं झूठ बोलने के।
औरतों ने नहीं कराए युद्ध,
युद्ध कराए हैं पुरुषों की वासना ने,
उनकी महत्वाकांक्षा ने,
युद्ध कराए हैं उनकी क्रूरता ने।
औरतों ने तो बस बलिदान दिया है,
हर युद्ध के अंत में उन्हें मिली है
मौत या मौत से बदतर ज़िंदगी,
युद्ध की बिसात पर मोहरा बनी हैं वे।
कोई औरत से सीखता, तो सीखता प्रेम,
त्याग, करुणा, दूसरों के लिए जीना,
दूर नहीं, आसपास देख लो,
तुम्हें समझ में आ जाएगा
कि औरत नहीं करा सकती युद्ध,
उसके बारे में इतिहास ने फैलाया है
केवल भ्रम और झूठ।