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शुक्रवार, 22 मार्च 2024

७५९. गुलाल



तुमने कहा 

कि तुमने होली में मुझे

पक्का रंग नहीं,

सिर्फ़ गुलाल लगाया.

इतना तो बता दो

कि कहाँ से ख़रीदा तुमने 

ऐसा जादुई गुलाल,

जो बदन से तो उतर जाए,

पर मन से चिपका रहे. 

++

मेरे चेहरे पर तुमने

जहाँ गुलाल लगाया था, 

वहां फफोले उभर आए हैं,

इस बार होली में गुलाल लगाओ,

तो दस्ताने पहन कर लगाना. 

++

तुम्हारे हाथों में 

न पिचकारी थी,

न बाल्टी,न गुब्बारा था,

सूखा रंग लगाया तुमने,

फिर मैं इतना कैसे भीग गया? 

++

बड़ा इंतज़ार था मुझे होली का, 

देर तक खड़ा रहा 

तुम्हारी खिड़की के नीचे मैं.

न तुमने खिड़की खोली,

न गुब्बारा फेंका,

पर अच्छा लगा मुझे,

जब मैंने खिड़की के पीछे का पर्दा

हिलते हुए देखा. 

++

वैसे तो होली में तुम पर 

रंगों की बौछार होती होगी, 

पर ध्यान से देखोगी, तो जानोगी 

कि मेरा रंग सबसे गहरा है. 

++

पिछली होली में तुम पर 

मैंने जो गुलाबी रंग डाला था, 

इस होली में वह  

तुम्हारी आँखों में दिख रहा है. 

++

तुमने सबके साथ होली खेली,

पर मेरे साथ नहीं,

इसे मैं क्या समझूँ,

तुम्हारी बेरुख़ी या तुम्हारा प्यार?

++

इस बार उसने होली में 

मेरी ओर देखा तक नहीं,

मुझे पक्का यक़ीन है 

कि नज़रें चुराने में

उसे मुश्किल हुई होगी. 

++

तुमने जो गुझिया खिलाई,

वह मीठी बहुत ज़्यादा थी, 

तुम्हें ख़ुद ही खिलाना था,

तो चीनी नहीं मिलाना था. 

++

होली पर तुम्हें देखा, तो जाना 

कि बाल हरे रंग के हों,

तो भी अच्छे लगते हैं. 

++

कई तरह के रंग खिले हैं 

तुम्हारे कपड़ों पर होली में,

कौन कहता है 

कि बिना धूप और बारिश के 

इंद्रधनुष नहीं बनता. 

++

मैं रंग-अबीर लेकर गया,

पर तुमने दरवाज़ा ही नहीं खोला, 

कम-से-कम इतना तो कह दो,

कि तुमने मैजिक आई से झाँका था.


10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 25 मार्च 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. अद्भुत सृजन ।हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏

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  3. होली के अवसर पर हर अंतर को प्यार के रंगों में सराबोर करने वाली सुंदर क्षणिकाएँ

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  4. होली के रंगों से सराबोर सुंदर पंक्तियां।
    होली की हार्दिक शुभकामनाएं 🎉

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  5. बड़ा इंतज़ार था मुझे होली का,

    देर तक खड़ा रहा

    तुम्हारी खिड़की के नीचे मैं.

    न तुमने खिड़की खोली,

    न गुब्बारा फेंका,

    पर अच्छा लगा मुझे,

    जब मैंने खिड़की के पीछे का पर्दा

    हिलते हुए देखा.
    वाह, बहुत ही उम्दा ।

    जवाब देंहटाएं
  6. होली की सुन्दर रचना

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