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रविवार, 24 अक्तूबर 2021

६१४.भगवान बचाए

 

तय किया है उन्होंने कि जनसेवा करेंगे,

संकल्प से उनके भगवान बचाए. 


वे करते कम हैं, गिनाते ज़्यादा हैं,

मेहरबानियों से उनकी भगवान बचाए. 


वे भी आमंत्रित हैं आज के जलसे में,

कविताओं से उनकी भगवान बचाए. 


सुना है,वे आएँगे पीड़ितों से मिलने,

दौरों से उनके भगवान बचाए. 


क़ातिलाना है उनकी प्यार-भरी नज़रें,

प्यार से उनके भगवान बचाए. 


8 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (25 -10-2021 ) को करवाचौथ सुहाग का, होता पावन पर्व (चर्चा अंक 4226) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. सुना है,वे आएँगे पीड़ितों से मिलने,
    दौरों से उनके भगवान बचाए.
    समयानुकूल कटाक्ष करती रचना!--ब्रजेंद्रनाथ

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