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शनिवार, 31 दिसंबर 2011

१६.साल का आखिरी दिन 


आखिरी बार निकला है सूरज इस साल,
कोहरे से ढका,ठण्ड से ठिठुरता,
कमज़ोर, उदास, थका-थका सा.


देर तक सोचा सुबह-सुबह 
कि निकले या नहीं,
फिर निकल ही आया आखिर
अपनी सारी ताक़त जुटाकर;
कैसे छोड़ देता पुराने साल को
उसके आखिरी दिन अकेला?


बहुत बुरे दिन देखे सूरज ने इस साल,
कभी दोपहर में अंधेरा छा गया,
कभी बादलों ने धावा बोल दिया,
कभी धूल के गुबारों ने जकड़ लिया उसे
अपनी सख्त खुरदरी मुट्ठी में.


पर कैसे भुला दे सूरज वे दिन
जब वह आसमां में चमका था
पूरी आभा और ताक़त के साथ,
जब अँधेरा, बादल, कोहरा -
सब परास्त हुए थे उससे.


उन चंद दिनों के लिए ही सही
सूरज को चमकना होगा आज,
कृतघ्न नहीं, न ही स्वार्थी है वह ,
नहीं छोड़ेगा वह साथ पुराने साल का
उसके आखिरी दिन.

5 टिप्‍पणियां:

  1. नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।

    सादर

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  2. सुंदर अभिव्यक्ति बेहतरीन रचना,.....
    नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,....

    मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--

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  3. बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !

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