मुझे पसंद है काला रंग,
मैं पहनता हूँ काले कपड़े,
खरीदता हूँ काली चीज़ें,
घर की दीवारों को मैंने
रंगवाया है काले रंग से।
समझ नहीं पाता कोई
काले रंग से मेरा लगाव,
पर मुझे लगता है
कि इसमें ईमानदारी बहुत है।
काला ही तो वह रंग है,
जो हमारे भीतर है,
बाहर भी हमें
वैसा ही दिखना चाहिए,
जैसे हम अंदर हैं।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द सोेमवार 04 नवंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंपते की बात ! रंगों की अपनी भाषा होती है।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंगूढ़ भाव …, सुन्दर सृजन ।
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