मुझे अच्छी लगती हैं
हँसती हुई लड़कियाँ,
पर इन दिनों वे
थोड़ी सहमी-सहमी सी हैं।
बाहर निकलने से इन दिनों
कतराती हैं लड़कियाँ,
देर हो जाय लौटने में
तो बढ़ा देती हैं
अपने क़दमों की रफ़्तार।
न जाने कब कौन
टूट पड़े उन पर,
बंद घरों में भी
सहमी-सी रहती हैं लड़कियाँ।
सपनों में देखती हैं वे
मुखौटे लगाए चेहरे,
चिथड़े-चिथड़े कपड़े,
मोमबत्तियाँ हाथों में लिए
जुलूस में शामिल लोग।
मुझे अच्छी लगती हैं
हँसती हुई लड़कियाँ,
पर अरसे से नहीं देखी मैंने
हँसती हुई लड़की,
आपने देखी हो, तो बताइएगा,
मैं भी मिलना चाहता हूँ
ऐसी दुस्साहसी लड़की से।
कोई हँसती हुई लड़की,
जवाब देंहटाएंआपने देखी हो,
तो मुझे भी बताइएगा,
मैं मिलना चाहता हूँ
ऐसी साहसी लड़की से
होंगी ..ज़रूर होंगी..,भले ही संख्या में कम हों ।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द शनिवार 09 नवंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंहँसती हुई लड़कियों को हँसी छीनने वाले ज्यादा हो गए है आजकल... इसलिए अपनी हँसी और बेपरवाही को सात तहों में छुपाकर रख रही हैं लड़कियाँ थ़ोड़ा और साहस बटोर कर पुनः हंसेंगी लड़कियाँ।
जवाब देंहटाएंसटीक
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंमार्मिक रचना, हँसती हुई लड़कियाँ देखनी हों तो नजरों में स्नेह और अपार पावनता भरनी होगी समाज को
जवाब देंहटाएंआज के हालात पे तपसरा
जवाब देंहटाएंsatik rachna - kaash ye badal paate !!!
जवाब देंहटाएं