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बुधवार, 13 अगस्त 2025

818. ईश्वर से

 


ईश्वर, 

मुझे वह सब मत देना,

जो मैं मांग रहा हूँ, 

दे दोगे, तो और माँगूँगा, 

हो सकता है कि अगर तुम 

मांगा हुआ सब कुछ दे दो,

तो मुझे कुछ ऐसा मिल जाए,

जो मेरे लिए बेकार,

किसी और के लिए ज़रूरी हो। 


ईश्वर,

अपने विवेक का इस्तेमाल करना,

अपनी स्तुति पर मत रीझना,

प्रार्थना से मत पिघलना, 

ज़रूरत से थोड़ा कम देना,

बस उतना ही 

कि मैं छीन न सकूँ 

किसी और का हक़,

बना रहूँ मनुष्य। 



बुधवार, 6 अगस्त 2025

 प्रिय साथियों, मेरी 51 प्रेम कविताओं का संकलन 'ओस की बूंद' अब अमेज़ॅन पर प्री-ऑर्डर के लिए उपलब्ध है। 10 अगस्त से यह पढ़ने के लिए भी उपलब्ध होगा।मूल्य 49 रुपए है। कृपया इस संकलन को भी अपना प्यार दें। आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा। लिंक दे रहा हूँ। https://amzn.in/d/0crseef  धन्यवाद। ओंकार केडिया



शुक्रवार, 25 जुलाई 2025

817. पासवर्ड और कविता




मेरा पासवर्ड मेरी कविता की तरह है, 

मैं नहीं जानता उसका अर्थ, 

न ही वह मुझे याद रहता है। 


मेरे पासवर्ड में न लय है, 

न कोई मीटर,

मैं तो यह भी नहीं जानता 

कि उसकी भाषा क्या है,

भाषा है भी या नहीं।


फिर भी मैं जानता हूँ 

कि मेरे पासवर्ड में 

कुछ खोज ही लेंगे लोग, 

जैसे मेरे लिखे में 

कविता ढूँढ़ लेते हैं 

मेरे पाठक। 


मंगलवार, 22 जुलाई 2025

816. पासवर्ड

 



फ़ाइल बाद में बना लेंगे, 

पहले पासवर्ड बनाते हैं, 

छिपाने का इंतज़ाम करते हैं, 

बाद में तय करेंगे 

कि छिपाना क्या है। 

**

याद रखना पासवर्ड,

बस तीन मौक़े मिलेंगे,

कोई ज़िंदगी नहीं है 

कि बार-बार ग़लती करो 

और रास्ता खुला रहे। 


बुधवार, 16 जुलाई 2025

815. आइसक्रीम




आइसक्रीम वाला आता था,

तो आ जाते थे

मोहल्ले के सारे बच्चे,

यह उन दिनों की बात है,

जब फ़्रिज़ नहीं होते थे घरों में,

जब नहीं होती थी आइसक्रीम

सिर्फ़ आइसक्रीम.

++

वह बच्चा, जो रोज़ बेचता है

मोहल्ले में आइसक्रीम ,

अक्सर सोचता है,

अगर वह बेचनेवाला नहीं,

ख़रीदनेवाला होता,

तो वह भी खा सकता था

कभी-कभार कोई आइसक्रीम।