कविताएँ
शुक्रवार, 22 मार्च 2024
७५९. गुलाल
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तुमने कहा कि तुमने होली में मुझे पक्का रंग नहीं, सिर्फ़ गुलाल लगाया. इतना तो बता दो कि कहाँ से ख़रीदा तुमने ऐसा जादुई गुलाल, जो बदन से तो उत...
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शुक्रवार, 15 मार्च 2024
७५८. मार्च में कविताएँ
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मुझे मार्च का महीना पसंद है, कविताएँ लिखने के लिए इससे अच्छा कोई महीना नहीं है. मार्च में आम के पेड़ों पर बौर होते हैं, मदहोश करनेवाली हव...
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शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2024
७५७.अब तो उठ
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बहुत आराम कर लिया, अब तो उठ, सूरज आसमान में है, अब तो उठ. कब तक बैठेगा मायूस होकर, फ़िसल रहा है जीवन, अब तो उठ. शर्म आ रही थी तुझे हाथ फै...
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गुरुवार, 8 फ़रवरी 2024
७५६.ओ मेरे आँगन के नीम
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ओ मेरे आँगन के नीम, इस तरह चुपके से ज़मीन पर टहनियाँ न गिराया करो, मुझे लगता है, मेरी दहलीज़ पर कोई आया है. मेरे दिल की धड़कनें रूककर क़दम...
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गुरुवार, 1 फ़रवरी 2024
७५५. काश, कोई मुसीबत टूटे
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आज फिर यादें टूट के बरसीं, आज फिर ग़म के अंकुर फूटे. कहाँ तक रखते दोस्तों का हिसाब, बहुत से मिले और बहुत से छूटे. यारों, उसे भी कोई सज़ा म...
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