मुझे मार्च का महीना पसंद है,
कविताएँ लिखने के लिए
इससे अच्छा कोई महीना नहीं है.
मार्च में आम के पेड़ों पर बौर होते हैं,
मदहोश करनेवाली हवाएँ बहती हैं,
बाग़ों में फूल खिले होते हैं,
पेड़ों पर कोयलें कूकती हैं.
मार्च में न ठण्ड होती है, न गर्मी,
न रज़ाई चाहिए, न ए.सी.,
न बरसात होती है,
न पसीना बहता है,
लिखने का मूड बनता है,
लिखना सस्ता भी पड़ता है.
मैं मार्च में ख़ूब कविताएँ लिखता हूँ,
मैं मानता हूँ
कि एक वित्त-वर्ष का लक्ष्य
उसी में हासिल कर लेना चाहिए,
अप्रैल तक नहीं टालना चाहिए.
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