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शुक्रवार, 11 जुलाई 2025

814. प्लेटफ़ॉर्म पर ट्रेन

 


ट्रेन,

इतनी देर क्यों रुकती हो तुम?

कोई तो नहीं चढ़ता यहाँ से,

किसका इंतज़ार है तुम्हें?

किस उम्मीद में जी रही हो तुम?


तुम्हारे पास तो कोई

कमी भी नहीं यात्रियों की,

भरी रहती हो हमेशा,

फिर वह कौन है, जिसके लिए

इतनी जगह है तुम्हारे दिल में,

जिसे कोई क़द्र नहीं तुम्हारी?


ट्रेन,

मेरी बात मानो,

किसी दिन बिना रुके चली जाओ,

झुककर तो बहुत देख लिया तुमने,

एक बार सिर उठाकर भी देखो ।


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