दस सिर वाला रावण तो ले आए हो,
भीड़ भी जुट गई है,
पर कौन करेगा उसका अंत,
राम तो कहीं दिखता ही नहीं.
अब न एक लंका है,
न सिर्फ़ एक रावण,
दसानन दिख रहे हैं हर तरफ़,
अजेय लग रहे हैं वे,
राम तो अब बचा ही नहीं.
जाओ, पहले राम को खोजो,
इतना ताक़तवर बनाओ उसे
कि अंत कर सके सारे रावणों का,
जिस दिन ऐसा हो जाएगा,
बुला लेना हमें,
उसी दिन मनाएंगे हम दशहरा.
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शुक्रवार 11 अक्टूबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंअब हरेक को अपने भीतर राम खोजना होगा और हरेक को अपने भीतर के रावण का दहन करना होगा
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्रण
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